फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो शुद्ध शाकाहारी भोजन सेवा “प्योर वेज फ्लीट” को लेकर विवादों में घिर गई है। सोशल मीडिया पर लोग इस सेवा का भारी विरोध कर रहे हैं।
विवाद का कारण
विवाद का मुख्य कारण यह है कि कंपनी ने डिलीवरी पार्टनर के लिए हरे रंग का ड्रेस कोड रखा था। लोगों का मानना है कि यह भेदभावपूर्ण है और नॉन-वेज खाने वालों के प्रति गलत संदेश देता है।
सीईओ का बयान
इन विवादों को देखते हुए, जोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि कंपनी “प्योर वेज फ्लीट” सेवा जारी रखेगी, लेकिन डिलीवरी पार्टनर के लिए हरे रंग का ड्रेस कोड वापस ले लिया जाएगा। अब सभी डिलीवरी पार्टनर लाल रंग की ड्रेस पहनेंगे।
गोयल ने कहा
“हमने यह फैसला डिलीवरी पार्टनर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया है। हम नहीं चाहते कि उन्हें किसी भी तरह का भेदभाव या उत्पीड़न का सामना करना पड़े।”
प्योर वेज फ्लीट कैसे काम करेगा?
“प्योर वेज फ्लीट” के तहत, ग्राहक जोमैटो ऐप पर “शाकाहारी” फिल्टर का उपयोग करके शुद्ध शाकाहारी रेस्तरां से ऑर्डर कर सकते हैं। इन ऑर्डर को केवल उन्हीं डिलीवरी पार्टनर द्वारा डिलीवर किया जाएगा जो लाल रंग की ड्रेस पहने होंगे।
विवाद का निवारण?
यह स्पष्ट नहीं है कि गोयल का बयान विवाद को खत्म करेगा या नहीं। कुछ लोग अभी भी “प्योर वेज फ्लीट” सेवा के विचार का विरोध कर रहे हैं, यह कहते हुए कि यह भेदभावपूर्ण और अनावश्यक है।
जोमैटो के “प्योर वेज फ्लीट” विवाद में कई पेचीदगियां शामिल हैं। आइए देखें:
परिचालन संबंधी चुनौतियां: यह स्पष्ट नहीं है कि जोमैटो कैसे सुनिश्चित करेगा कि “प्योर वेज फ्लीट” ऑर्डर पूरी तरह से शाकाहारी हैं। रेस्तरां रसोई में क्रॉस-कंटनेमिनेशन का जोखिम होता है, भले ही वे शाकाहारी हों। इससे गलती से मांसाहारी भोजन की आपूर्ति हो सकती है।
धार्मिक संदर्भ: हरे रंग को अक्सर हिंदू धर्म में शाकाहार से जोड़ा जाता है। कुछ का मानना है कि इसका इस्तेमाल गैर-हिंदू धर्मों के शाकाहारियों को अलग करता है।
प्रतिक्रियाएं:
इस विवाद पर प्रतिक्रियाओं का मिश्रण देखने को मिला है। कुछ शाकाहारी ग्राहक इस पहल का स्वागत करते हैं, जबकि अन्य इसे अ unnecessary और विभाजनकारी मानते हैं। मांसाहारी ग्राहक भी इस सेवा से असहमत हैं, जो खाद्य वरीयताओं के आधार पर भेदभाव का आरोप लगाते हैं।
जोमैटो के सीईओ दीपिंदर गोयल ने डिलीवरी पार्टनर के लिए हरे रंग का ड्रेस कोड हटाकर विवाद को शांत करने का प्रयास किया है। यह कदम डिलीवरी पार्टनर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
लेकिन, यह स्पष्ट नहीं है कि यह कदम विवाद को पूरी तरह से खत्म कर देगा या नहीं। कुछ लोग अभी भी “प्योर वेज फ्लीट” सेवा के विचार का विरोध कर रहे हैं, यह कहते हुए कि यह भेदभावपूर्ण और अनावश्यक है।
यह देखना बाकी है कि क्या जोमैटो इस सेवा को जारी रख पाएगी या नहीं।
निष्कर्ष:
जोमैटो का “प्योर वेज फ्लीट” विवाद जटिल है, जिसमें परिचालन संबंधी चुनौतियां, धार्मिक संदर्भ और विभाजनकारी पहलू शामिल हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कंपनी विवाद को सुलझा सकती है और सेवा को सुचारू रूप से चला सकती है।